26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा – आखिरकार भारत के हवाले!
26 नवंबर 2008 — वह दिन जिसे भारत कभी नहीं भूल सकता। मुंबई की सड़कों पर मौत ने दस्तक दी थी। लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने शहर के आठ प्रमुख स्थानों पर हमला कर दिया, जिसमें 166 लोगों की जान गई। इस हमले के पीछे जिन चेहरों का हाथ था, उनमें से एक नाम था – तहवुर हुसैन राणा।
अब 17 साल बाद, ये आतंक का सौदागर भारत वापस लाया गया है। लेकिन यह सफर सीधा नहीं था। इस ब्लॉग में जानिए तहवुर राणा की पूरी कहानी — पाकिस्तान से अमेरिका, अमेरिका से प्रत्यर्पण, और भारत की कूटनीतिक जीत तक।
तहवुर राणा कौन है?
- मूल रूप से पाकिस्तान के चीचा वटनी का रहने वाला
- पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर की पोस्ट पर तैनात
- 1997 में कनाडा गया और कनाडाई नागरिकता ली
- 2001 में अमेरिका पहुंचा और शिकागो में इमिग्रेशन एजेंसी खोली
कैसे बना आतंक की योजना का हिस्सा?
राणा की मुलाकात अमेरिका में डेविड कोलमैन हेडली (असल नाम दाऊद गिलानी) से होती है। हेडली को लश्कर-ए-तैयबा ने भारत भेजा था मुंबई में हमले की रेकी के लिए।
लेकिन भारत में संदिग्ध न लगने के लिए हेडली को राणा ने अपनी कंपनी के ज़रिए "टूरिस्ट एजेंट" बनाकर भारत भेजा। इस तरह मुंबई के ताज होटल, CST, लियोपोल्ड कैफे जैसी जगहों की पूरी जानकारी इकट्ठा की गई।अमेरिकी जांच और खुलासा
2010-11 में जब डेनमार्क पर कार्टून विवाद में हमला हुआ, तो जांच में हेडली और राणा दोनों के नाम सामने आए। इसी दौरान यह भी सामने आया कि राणा ने 26/11 के हमलों में भी सहायता और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट दिया था।एनआईए (NIA) ने 2011 में चार्जशीट में राणा को नामजद किया।
अमेरिका में मुकदमा और रिहाई
2011 में नरेंद्र मोदी (तब गुजरात के मुख्यमंत्री) ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "मुंबई हमले में आरोपी को अमेरिका कैसे निर्दोष कह सकता है?"
ओबामा की किताब और सच्चाई का खुलासा
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी किताब A Promised Land में खुलासा किया कि भारत सरकार ने "मुस्लिम विरोध" के आरोपों से बचने के लिए राणा के प्रत्यर्पण की मांग नहीं की थी — जिससे भारत की नीतिगत कमजोरी उजागर हुई।भारत लाने की कोशिशें और सफलता
- 2018: भारत ने औपचारिक प्रत्यर्पण की मांग की
- 2020: अमेरिका में केस दाखिल, COVID के चलते राणा रिहा
- 2024: अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण को मंजूरी दी
- 13 फरवरी 2025: राणा को अमेरिका से भारत लाया गया
26/11 की पूरी जानकारी संक्षेप में
- हमले की अवधि: 26-29 नवंबर 2008
- मृतकों की संख्या: 166
- घायल: 300+
- लक्षित स्थान: ताज होटल, CST स्टेशन, लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाउस आदि
- विदेशी नागरिक हताहत: अमेरिका, इजराइल, फ्रांस, जापान, थाईलैंड सहित 15 देशों के लोग
भारत की प्रतिक्रिया और राजनीति
राणा के प्रत्यर्पण को लेकर सत्ताधारी और विपक्ष दोनों में राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है। भाजपा का दावा है कि यह "नई विदेश नीति और कूटनीति की जीत" है, जबकि कांग्रेस कह रही है, "हमने भी प्रयास किए थे, सारा क्रेडिट मत लीजिए।"
निष्कर्ष
तहवुर राणा की भारत वापसी सिर्फ एक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कूटनीतिक जीत है। आने वाले समय में यदि उसे दोषी पाया जाता है और उचित सज़ा मिलती है, तो यह वैश्विक स्तर पर एक कड़ा संदेश होगा — "आतंक की कोई पनाहगाह नहीं होती।"आप क्या सोचते हैं?
- क्या तहवुर राणा को मौत की सज़ा मिलनी चाहिए?
- क्या भारत को अपनी कूटनीति और मज़बूत करनी चाहिए?
अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर दें।
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