राजस्थान को अरब सागर से जोड़ने की ऐतिहासिक पहल: जालोरमें इनलैंड पोर्ट का नया युग

 

Rajasthan to Connect with Arabian Sea via Inland Port in Jalore

भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को लेकर पिछले एक दशक में कई क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं। इन्हीं पहलों में सबसे रणनीतिक और महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है — “राजस्थान को अरब सागर से इनलैंड पोर्ट के माध्यम से जोड़ने” का निर्णय, जिसका केंद्र होगा जलोर (Jalore)
यह केवल एक पोर्ट नहीं, बल्कि राजस्थान और भारत के आर्थिक भूगोल को बदलने वाला मेगा-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है।


क्यों महत्वपूर्ण है यह परियोजना?

राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद समुद्र से दूर रहा है।
यही कमजोरी व्यापार, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक विकास में कई दशक तक बाधा बनी रही।

लेकिन जलोर में प्रस्तावित इनलैंड पोर्ट राजस्थान को पहली बार सीधे अरब सागर (Kandla / Mundra Ports) से रेल एवं सड़क नेटवर्क द्वारा जोड़ देगा। यह वही मॉडल है जिसे चीन, अमेरिका व यूरोप देशों ने पहले अपनाकर “इन्लैंड ट्रेड हब” खड़े किए थे।


परियोजना क्या है? - एक शोधपरक व्याख्या

इन्लैंड पोर्ट (Dry Port) एक ऐसी जगह होती है जहाँ -

  • कंटेनर ट्रांसफर
  • कस्टम क्लीयरेंस
  • कार्गो हैंडलिंग
  • वेयरहाउसिंग
  • निर्यात/आयात दस्तावेज़ीकरण

- सारी सुविधाएँ समुद्री बंदरगाह की तरह उपलब्ध होती हैं।

इससे कंटेनर सीधे जलोर से बंदरगाह तक और बंदरगाह से जलोर तक पहुँचेंगे।

यह मॉडल विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि-

  • राजस्थान व्यापारिक राज्य है
  • मार्बल, ग्रेनाइट, सेरामिक्स, मसाला, फार्मा, टेक्सटाइल आदि का बड़ा निर्यातक है
  • अब तक इन उद्योगों को समुद्र तक पहुँचने में 400–700 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती थी


राजस्थान और भारत को होने वाले बड़े फायदे

1. राजस्थान का पहला ‘समुद्री-द्वार’ (Sea Gateway)

दूरस्थ स्थिति के कारण व्यापारियों को गुजरात के समुद्री बंदरगाहों पर पूरा निर्भर रहना पड़ता था।
अब यह निर्भरता कम होगी और—

  • कंटेनर लागत घटेगी
  • लॉजिस्टिक समय में 30–40% की कटौती
  • ट्रांसपोर्ट में होने वाले नुकसान और देरी कम होगी

2. उद्योगों के लिए जीवनदान जैसी परियोजना

राजस्थान के कई जिले—
• जलोर • सिरोही • पाली • उदयपुर • आबू रोड • अजमेर
—निर्यात आधारित इंडस्ट्री हब हैं।

इन्हें सबसे अधिक लाभ मिलेगा:

  • मार्बल उद्योग (Makrana, Rajsamand, Udaipur)
  • ग्रेनाइट एवं स्टोन
  • कृषि आधारित उद्योग (जीरा, मैथी, मिर्च)
  • टेक्सटाइल और फर्नीचर
  • इंजीनियरिंग सामान

इन्लैंड पोर्ट इन्हें वैश्विक बाजारों से सीधे जोड़ेगा।


3. भारत की सप्लाई चेन को मजबूत बनाना

जब एक बड़ा लैंडलॉक्ड राज्य समुद्र से जुड़ता है, तो पूरा ट्रांसपोर्ट नेटवर्क बदल जाता है।

इससे—

  • दिल्ली–मुंबई फ्रेट कॉरिडोर को नई ताकत
  • पश्चिम भारत की सप्लाई चेन में नया केंद्र
  • भारत का निर्यात इंजन तेज


4. रोजगार और निवेश में तेज वृद्धि

शोध के अनुसार, किसी भी इनलैंड पोर्ट के बनने से आसपास के क्षेत्रों में—

  • प्रत्यक्ष रोजगार (लॉजिस्टिक, वेयरहाउसिंग, हैंडलिंग)
  • अप्रत्यक्ष रोजगार (ट्रांसपोर्ट, सप्लाई, होटल, सर्विस सेक्टर)
—हर वर्ष हजारों लोगों को काम मिलता है।

जलोर जिले की सामाजिक-आर्थिक रैंकिंग को देखते हुए यह विकास गेम-चेंजर साबित होगा।


5. गुजरात–राजस्थान व्यापार तथा सहयोग में वृद्धि

यह परियोजना दो बड़े औद्योगिक राज्यों को और मजबूत रूप से जोड़ेगी।
दोनों राज्यों के लिए फ़ायदा:

  • साझा व्यापारिक कॉरिडोर
  • निर्बाध कार्गो मूवमेंट
  • दोगुनी व्यापार क्षमता

भारत के पश्चिमी हिस्से में यह एक नया आर्थिक ग्रोथ ज़ोन बनाएगा।


शोध आधारित इनसाइट: क्यों चुना गया जलोर?

1. रणनीतिक लोकेशन

जलोर राजस्थान–गुजरात सीमा के सबसे नजदीकी बड़े जिलों में से है।
पास में—

  • NH 68
  • दिल्ली–मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC)
  • आने वाला वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

इन सबका संगम इसे लॉजिस्टिक हब बना देता है।

2. गुड्स ट्रैफिक का केंद्र

मार्बल, ग्रेनाइट, मसाले, पशुपालन व कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा ट्रांसफर बेल्ट यहीं है।

3. इंडस्ट्री क्लस्टर्स का उभरना

जलोर–पाली–सिरोही–उदयपुर वैल्यू चेन पहले से सक्रिय है।
इसे समुद्री लिंक मिलते ही यह वैश्विक स्तर का इंडस्ट्रियल बेल्ट बन सकता है।


राजस्थान के भविष्य पर बड़ा असर

इस परियोजना के बाद राजस्थान, जो सदियों से लैंडलॉक्ड रहा है, अब—

  • समुद्री व्यापार में साझेदार बनेगा
  • निर्यात आधारित राज्य के रूप में उभरेगा
  • निवेशकों की पहली पसंद बनेगा
  • DMIC के बाद दूसरा बड़ा लॉजिस्टिक पुल बनेगा

यह कदम राजस्थान को उद्योग, व्यापार और परिवहन के नए युग में ले जाएगा


भारत को होने वाले 5 राष्ट्रीय लाभ

  1. पश्चिमी कॉरिडोर का बोझ कम होगा : मुंबई–गुजरात पोर्ट्स पर दबाव घटेगा।
  2. निर्यात क्षमता बढ़ेगी : राजस्थान के योगदान से भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
  3. नई सप्लाई चेन मॉडल्स विकसित होंगे: लैंडलॉक्ड राज्यों के लिए प्रेरणा।
  4. इकोनॉमिक क्लस्टर्स का विस्तार: गुजरात–राजस्थान–हरियाणा की इंडस्ट्री अब एक नेटवर्क के रूप में काम करेगी।
  5. भारतीय लॉजिस्टिक्स रैंकिंग में सुधार: ग्लोबल लॉजिस्टिक्स इंडेक्स में भारत की रैंक और ऊपर जा सकती है।

निष्कर्ष: यह सिर्फ पोर्ट नहीं, विकास का नया अध्याय है

जलोर इनलैंड पोर्ट परियोजना—
राजस्थान और भारत दोनों के लिए ट्रांसफॉर्मेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर सिद्ध होगी।
भारत में निर्यात, उद्योग, रोजगार और लॉजिस्टिक लागत को लेकर यह एक ऐतिहासिक सुधार की शुरुआत है।

यह परियोजना राजस्थान को समुद्री व्यापार का मुख्य खिलाड़ी बना देगी—जो कभी असंभव माना जाता था।

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